बिलासपुर // केन्दा घाटी के पहले मोड़ पर पेन्ड्रा की तरफ जा रही एक कार चलते चलते धू-धू खाक हो गयी है। दोनों कार सवार बाल बच गये है। इस दौरान दोनो असाहय कार सवार आने जाने वालों से मदद मांगते रहे। लेकिन किसी ने भी सहयोग का हाथ नहीं बढ़ाया। हादसे में बचे कार सवारों ने बताया कि उन्हें अब भी विश्वास नहीं हो रहा है कि बच गये हैं।
घटना बिलासपुर और जीपीएम जिले के बीच स्थित केन्दा घाटी में हुई है। जिले के फर्नीचर व्यवसायी सुनील अग्रवाल रविवार दोपहर को अपने दो स्टाफ को किसी काम से पेड्रा भेजा। केन्दा से आगे घाटी की पहली तेज मोड़ पर यकायक कार बन्द हो गयी। कार बन्द होने के साथ फटाका फूटने की आवाज आई। आवाज सुनकर दोनो कार सवार तत्काल बाहर निकले। दोनो ने खड़ी कार में जानने का प्रयास किया कि आखिर कार अपने आप क्यों रूक गयी। और आवाज कहां से आई।
जानकारी के अनुसार रविवार की दोपहर बिलासपुर के तेलीपारा स्थित अनिल फर्नीचर संस्थान के व्यापारी सुनील अग्रवाल ने अपने दो स्टाफ को किसी काम से मारुति स्विफ्ट डिजायर कार नंबर CG – 10 – AG -7797 देकर पेंड्रा भेजा । कार में सवार दो स्टाफ जैसे ही केंदा घाटी के पहले मोड़ पर पहुंचे। सामने इंजन की तरफ से एक जोरदार आवाज आई और कार बंद हो गई।
कार सवार दोनो ने बताया कि इसी बीच उन्होने देखा कि कार के अन्दर आग लग गयी है। आग से बचने अभी दोनो भागकर कार से चंद कदम दूर हुए थे। इसी दौरान तेज विस्फोट के साथ कार लपटों में समा गई। देखते ही दखते कार चलकर खाक हो गयी। बाल बाल बचे कार सवारों ने चन्द किलोमीटर दूर स्थित केंदा पुलिस चौकी को जानाकारी दी।
मदद की लगाते रहे गुहार
बीच सड़क पर जलती कार को राहगीरों देखा। गुहार लगाने के बाद भी किसी ने मदद के लिए हाथ नहीं बढ़ाया। हाथ बढ़ाना तो दूर किसी ने ना तो वाहन रोख और घटना को लेकर जानने के प्रयास ही किया। व्यापारी अग्रवाल का स्टाफ बेसहारा धू-धू करते कार को देखता रहा। इतना ही नहीं किसी ने यह भी नहीं पूछा कि आखिर दोनो स्टाफ को कहां जाना है। और उनकी क्या मदद कर सकते हैं।