प्रणय मिश्रा द्वारा
बाँकी मोगरा – कोरबा पश्चिम क्षेत्र का सबसे बड़ा और ऐतिहासिक साप्ताहिक सोमवार बाजार आज अपनी बदहाल स्थिति पर आंसू बहा रहा है। लगभग 30 वर्ष पूर्व साड़ा (विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण) कोरबा द्वारा निर्मित और बाद में नगर पालिका निगम कोरबा द्वारा सर्वसुविधा युक्त बनाए गए इस बाजार का कभी क्षेत्र में विशेष महत्व था। लेकिन नगर पालिका परिषद बांकीमोंगरा के गठन के बाद से एक वर्ष बीत जाने पर भी इस बाजार की देखरेख और सौंदर्यीकरण की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
लोहा–कबाड़ चोरों का अड्डा बनता बाजार
बीते दिनों से बाजार में लगे जर्जर शेड और टीन पर कबाड़ चोरों की नजरें गड़ चुकी हैं। प्रशासन की लापरवाही और अधिकारियों की अनदेखी का फायदा उठाते हुए धीरे–धीरे पूरे बाजार की छत और शेड चोरी कर गायब किए जा रहे हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि इस पर न तो पुलिस प्रशासन ने कोई कार्रवाई की है और न ही संबंधित अधिकारी संज्ञान लेने के लिए मौके पर पहुंचे। यह स्थिति चोरों के लिए “सोने पर सुहागा” साबित हो रही है।
सब्जी विक्रेताओं की जान पर बन आई
शेड जर्जर होने और समय पर मरम्मत न होने के कारण जगह–जगह गिरने लगे हैं, जो किसी बड़ी दुर्घटना को न्योता दे सकते हैं। इसके बावजूद सब्जी विक्रेता मजबूरी में सोमवार को खुले आसमान के नीचे बिक्री करने पर मजबूर हैं। गर्मी में तपती धूप और बरसात में भीगते हुए अपनी रोजी–रोटी चलाना इनके लिए कठिन हो गया है।
सिर्फ घोषणाएं, अमल कहीं नहीं
नगर पालिका निगम कोरबा और अब नगर पालिका परिषद बांकीमोंगरा द्वारा वर्षों से बाजार के सुधार और सुविधा विस्तार के लिए घोषणाएं होती रही हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई बदलाव नहीं आया। बाजार की स्थिति मानो खुद चीख–चीख कर कह रही हो कि “घोषणाओं से पेट नहीं भरता, मरम्मत कीजिए”।
जनता सब समझती है, पर आवाज कोई नहीं उठाता
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि इस दुर्दशा के लिए सीधे–सीधे संबंधित अधिकारी और जनप्रतिनिधि जिम्मेदार हैं। कारण सभी को पता है, लेकिन किसी में खुलकर आवाज उठाने का साहस नहीं है। अब देखना यह होगा कि कोरबा पश्चिम के इस सबसे बड़े साप्ताहिक सोमवार बाजार का हाल और बिगड़ता है या फिर कोई जनप्रतिनिधि और अधिकारी संज्ञान लेकर इसका जीर्णोद्धार करता है।