बिलासपुर // छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में आज न्यायिक अधिकारियों और अधिवक्ताओं के लिए 40 घंटे के व्यापक मध्यस्थता प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन सत्र आयोजित किया। यह महत्वपूर्ण कार्यक्रम छ. ग. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सभागार में कक्ष में आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य राज्य भर में वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र को मजबूती प्रदान करना है।
उद्घाटन सत्र माननीय श्री न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा, माननीय मुख्य न्यायाधिपति, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय एवं मुख्य संरक्षक, छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की गरिमामयी अध्यक्षता में आयोजित किया गया। उनके साथ माननीय श्री न्यायमूर्ति संजय के. अग्रवाल, न्यायाधीश, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय एवं कार्यपालक अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण और माननीय न्यायमूर्ति पार्थ प्रतीम साहू, न्यायाधीश, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय एवं अध्यक्ष, उच्च न्यायालय एवं जिला न्यायालयों के लिए मध्यस्थता केंद्रों की निगरानी समिति की गरिमामयी उपस्थिति रही।
माननीय श्री न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा, माननीय मुख्य न्यायाधिपति, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर एवं मुख्य संरक्षक, छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए व्यक्त किया कि मध्यस्थता विवादों के समाधान के लिए एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करता है, जो विवादों को समाप्त करने के लिए एक संतुलित और सौहार्दपूर्ण वातावरण सुनिश्चित करता है।
माननीय मुख्य न्यायाधिपति महोदय ने अपने उद्बोधन में कहा कि वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र के रूप में मध्यस्थता की एक प्रभावी और महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होनें मध्यस्थों के लिए पेशेवर नैतिकता के महत्व और मध्यस्थता प्रक्रिया की अखंडता और प्रभावशीलता बनाए रखने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया है।
माननीय मुख्य न्यायाधिपति महोदय ने अपने उद्बोधन में कहा कि 40 घंटे का यह कठोर प्रशिक्षण कार्यक्रम मध्यस्थता, संघर्ष प्रबंधन और समाधान के व्यापक सैद्धांतिक पहलुओं को शामिल करने के लिए तैयार किया गया है जिसमें महत्वपूर्ण रूप से, इसमें प्रतिभागियों को व्यावहारिक अंतर्दृष्टि और व्यावहारिक अनुभव प्रदान करने के लिए वास्तविक मामलों के अध्ययन और आकर्षक भूमिका निर्वाह अभ्यास शामिल हैं।
माननीय मुख्य न्यायाधिपति महोदय ने राष्ट्र के लिए मध्यस्थता विषय पर संचालित अभियान पर एक उत्साहजनक जानकारी साझा करते हुए बताया कि इस पहल के तहत अब तक छत्तीसगढ राज्य में 709 उल्लेखनीय मामलों का सफलतापूर्वक निपटारा किया जा चुका है, जो मध्यस्थता के ठोस प्रभाव और बढ़ती स्वीकार्यता को दर्शाता है।
उद्घाटन सत्र में माननीय श्री न्यायमूर्ति अरविंद कुमार वर्मा, न्यायाधीश – छत्तीसगढ उच्च न्यायालय, माननीय श्री न्यायमूर्ति बिभु दत्त गुरु, न्यायाधीश – छत्तीसगढ उच्च न्यायालय, माननीय श्री न्यायमूर्ति अमितेंद्र किशोर प्रसाद, न्यायाधीश-छत्तीसगढ उच्च न्यायालय, श्री प्रफुल्ल भारत-महाधिवक्ता, डिप्टी सॉलिसिटर जनरल, उच्च न्यायालय अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष, मध्य प्रदेश से उपस्थित वरिष्ठ मध्यस्थता प्रशिक्षकगण श्रीमती गिरीबाला सिंह एवं श्रीमती नीना खरे, रजिस्ट्रार जनरल और रजिस्ट्री के अधिकारीगण, बिलासपुर के परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश, छत्तीसगढ राज्य न्यायिक अकादमी और छत्तीसगढ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अधिकारीगण, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के सचिव, मध्यस्थता प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रशिक्षणार्थीगण शामिल थे।
दिनांक 18 अगस्त से 22 अगस्त, 2025 तक आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम से न्यायिक अधिकारियों और अधिवक्ताओं के मध्यस्थता कौशल में उल्लेखनीय वृद्धि होगी तथा छत्तीसगढ़ में विवाद समाधान के लिए कानूनी ढांचा और मजबूत होगा।