बिलासपुर, 26 अगस्त 2025 :— छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में भूमि घोटालों की कड़ी एक बार फिर चर्चा में है। ग्राम भदौरा, तहसील मस्तूरी में सरकारी घास भूमि (घास मद) को कूट रचना और फर्जी दस्तावेजों के जरिए निजी नामों पर दर्ज कराने का गंभीर आरोप लगाते हुए एक शिकायत पुलिस अधीक्षक को सौंपी गई है। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि यह घोटाला 2013-14 के भदौरा भूमि घोटाले की निरंतरता है, जो अभी तक थमने का नाम नहीं ले रहा। कुल 5.629 हेक्टेयर सरकारी भूमि के दुरुपयोग का मामला सामने आया है, जिसमें राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत का भी जिक्र है।
शिकायत में ग्राम बेलटुकरी निवासी विदेशी यादव (पिता कार्तिक राम यादव) और खम्हन (पिता शिवदुलारे केंवट) को मुख्य आरोपी बताया गया है। शिकायतकर्ता के अनुसार, विदेशी यादव ने ग्राम भदौरा की शासकीय घास भूमि के खसरा नंबर 513/1 (रकबा 1.0240 हेक्टेयर), 513/3 (1.2140), 513/8 (0.4450), 513/6 (0.2020), 513/11 (0.1050), 513/65 (0.1050) और 513/66 (0.4050) को कुल 3.605 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फर्जी तरीके से अपने नाम पर दर्ज कराया। इसी प्रकार, खम्हन ने खसरा नंबर 513/69 (1.0120) और 513/70 (1.0120) को कुल लगभग 2.024 हेक्टेयर भूमि पर कब्जा जमाया। ये सभी भूमियां राजस्व अभिलेखों (मिसल) में घास मद के रूप में दर्ज हैं, लेकिन कूट रचना और राजस्व कर्मचारियों की सांठ-गांठ से इन्हें निजी संपत्ति बना लिया गया।
शिकायत में यह भी उल्लेख है कि आरोपी इन भूमियों पर सहकारी सोसायटी में पंजीयन कराकर धान की बिक्री कर रहे हैं, जिससे शासन को आर्थिक नुकसान हो रहा है। दोनों आरोपी कथित रूप से नरेंद्र सिंह उर्फ कल्लू सिंह (पिता रैन सिंह) के कर्मचारी हैं, जो पूर्व में भदौरा घोटाले में शामिल रहे हैं। शिकायतकर्ता ने पुलिस अधीक्षक से मांग की है कि मामले की गहन जांच की जाए, फर्जी दस्तावेज तैयार करने और कूट रचना के अपराध में प्राथमिकी दर्ज की जाए, सरकारी भूमि को मुक्त कराया जाए तथा दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि आरोप सिद्ध हुए तो यह छत्तीसगढ़ में भूमि घोटालों की बड़ी श्रृंखला का हिस्सा साबित हो सकता है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी संपत्ति की सुरक्षा पर सवाल उठाता है। आगे की जांच से ही स्पष्ट होगा कि क्या यह पुराने घोटाले का विस्तार है या नया षड्यंत्र।